आवो ना बताओ
( तर्ज : जावो , ना सताओ रसिया ... )
शेर -१ : दिलकी धडकन क्या कहूँ
जो देखा है तुफान ।
मन नहीं माने ,
समझाये करता पाप महान् ।
शेर -२ : खैर करें मनमें कभी
मगर न हो जग जान ।
इनसे तो मरना भला ,
कौन कामका ज्ञान ?
भजन : आवो ना बताओ मोहे ग्यान !
फिरसे न पाऊँ ये दुख महान् || टेक ||
घडी में शान आती है ,
घडी में दिल दुखाती है ।
अरे वा ! कैसी है ये जान ! ॥
आओ ना ... ।। १ ।।
घडी में कामकी स्वारी ,
घडी में क्रोध ने मारी ।
अजब है षड्रिपुकी तान ! ॥
आओ ना ... ।।२ ।।
घडी में साधुता आवे ,
घडी में बैर मन भावे ।
न इसका कोई ले इल्जाम ॥
आओ ना ... ॥३ ॥
मिले जो - जो भी कहते हैं ,
ये दुख सबकोही रहते हैं ।
मगर इसपर हो सबका ध्यान ।
आओ ना ... ।।४ ।।
बिना सत् - संगती पाये ,
ये दुख किसीसे नहीं जाये ।
तुकड्या कहे , मैं हूँ हैरान ॥
आओ ना ... ॥५ ॥
मालेगाँव रेल्वे प्रवास ;
दि .७. ९. ६२
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